-मेरी चाहत करती है मुझको आहत –
मेरी चाहत करती है मुझको आहत –
अपनो को पाने की चाहत,
प्यार अपनो को देने की ख्वाहिश,
तमाम इच्छाओं को मन में ही मार डाला,
होना चाहता था में क्या मुझे क्या बना डाला,
अपनो की इच्छा पर मेने अपने जीवन को है ढाला,
अपनो की खुशियों के लिए मेने अपना जीवन होम कर डाला,
चला सदा में संघर्ष पथ पर,
पर कभी भी मेने ना अपनो को दोष डाला,
मेरे अपनो ने दिया मुझे जीवन भर दुःख,
जिसे में हंसते हुए झेल पाया,
जो चाहा जिसे चाहा उस दगाबाज ने दगा दे डाला,
इसलिए अब कोई चाहत नही है मेरे मन में,
क्योंकि मेरी चाहत करती है मुझको आहत,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –