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28 Jun 2024 · 1 min read

मेरी कुंडलिनी

मेरी कुंडलिनी

करता जो आलस्य है,वह है मरियल बैल।
दरवाजे पर बैठ कर, नापत पृथ्वी शैल।।
कहें मिश्र कविराय,करे मत कुछ बस कहता।
हाँके केवल डींग,शिकायत सब की करता।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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