मेरी कुंडलिनी
मेरी कुंडलिनी
करता जो आलस्य है,वह है मरियल बैल।
दरवाजे पर बैठ कर, नापत पृथ्वी शैल।।
कहें मिश्र कविराय,करे मत कुछ बस कहता।
हाँके केवल डींग,शिकायत सब की करता।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
मेरी कुंडलिनी
करता जो आलस्य है,वह है मरियल बैल।
दरवाजे पर बैठ कर, नापत पृथ्वी शैल।।
कहें मिश्र कविराय,करे मत कुछ बस कहता।
हाँके केवल डींग,शिकायत सब की करता।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।