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18 Mar 2023 · 1 min read

मेरी कागज की नाव

यह दुनिया बहुत कठोर है और
मेरा दिल बहुत है कोमल
मेरी कागज की नाव
इसकी पत्थर की धार पर कैसे बहेगी
धार है इसकी नुकीली
करती मुझ पर वार
देती मुझको घाव
करती मुझको घायल
परेशान और जख्मी
मेरा तन हो गया है छलनी
मन गया है हार
दिल टूट गया है
गोलियां जो दागी इसने ताबड़तोड़ तो
मेरी कागज की कश्ती में हो गये
असंख्य छेद
यह कहीं से साबुत नहीं बची
यह फट गई और
बिछ गई धरती पर ऐसे जैसे हो
कोई बर्फ की रेत के कणों से ढकी चादर एक श्वेत।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
169 Views
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