” मेरा सपना “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
==========
उन्मुक्त गगन में
बिचारना
भय रहित
स्वक्षंद चलना ,
आत्मबल हो
ऋदय में
मोह की छाया
न पनपे ,
सत्य के हथियार से
साकार करलें
आज सपने !
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
दुमका
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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उन्मुक्त गगन में
बिचारना
भय रहित
स्वक्षंद चलना ,
आत्मबल हो
ऋदय में
मोह की छाया
न पनपे ,
सत्य के हथियार से
साकार करलें
आज सपने !
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
दुमका