मेरा भारत महान
धातु धातु होती है
द्रव गैस
गैस द्रव
पानी पानी
है सभी द्रव्य
नीचे धरातल
ऊपर आकाश,
लहू लहूलुहान हुआ,
बताओ अब
इनकी जाति
जाति है के जाती नहीं
ये है महात्मा बुद्ध धरती,
युद्ध नहीं करती,
पत्थर दिल भी पिंघले यहाँ
अशोक हुये महान्
बौद्धमय हुये
संविदा दे गये महान.
चाहिए जिनको रामराज
समझ लो
धर्मनिरपेक्ष भारत महान