मेरा कैसा ये भारत है
अमन कायम रहे कैसे यहाँ जब तक सियासत है
कि दौलत पास है जिसके उसी की ये अदालत है
ये जनता है बहुत भारी हाथी की तरह फिर भी
जो बैठा है वो उपर में बड़ा जालिम महावत है
जुबां जो खोलता तो लोग कहते है बगावत है
जो ना बोले यहाँ पर देख जुल्मों की कयामत है
जहाँ थाने में ही लुट जाती हो महिलाओं की इज्जत
बता कैसे कहुँ तुमको यहाँ सब कुछ सलामत है
भगत,बिस्मिल जहाँ जन्में वहाँ कैसी ये हालत है
बयाँ कैसे करू तुमको मेरा कैसा ये भारत है
खोखला कर रही सबको जहाँ पे स्वार्थ की दीमक
नफरतों की चोंट खाकर यहाँ घायल मुहब्बत है
राजेन्द्र साव