मेरागांव अब बदलरहा है?
मेरागांव अब बदलरहा है?
अंधीदौड़ आधुनिकता भाग रहे है सब,दीनू रामू और सोहन की चौपाले नदारद है ,गलियां सूनी ,पनघट सूना , सूना हाट घाट , सूना पगडंडियां है
वो अमराई,नदी किनारे रुख राई सब कुछ वीरान है
कैसा अंधानुकरण आधुनिकता की ? सारा गांव सुनसान हैं,
सच कहूं तो आज गांव लौट कर
मैंने ये ठाना है, बाग लगाना मुझको फल खायेंगे मेरे बच्चे जैसे थे बाग लगाए बाबा ने फल मैंने खाया हैं,
मेरे गांव पनघट ,हाट,घाट ,
पगडंडियां, चौपाले फिर से चहकाना है, छोड़ चुके जो नीड़ चिरैया उसको वापस बसाना है
मेरागांव बदलरहा है यह सबको दिखाना है