*मृत्यु-भोज (कुंडलिया)*
मृत्यु-भोज (कुंडलिया)
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खाते खिलवाते रहे, सब समाज में रोज
मृत्यु-भोज लेकिन गलत, गलत मरण का भोज
गलत मरण का भोज, मरा फिर मारा जाता
रखता झूठी शान, कर्ज ले-लेकर आता
कहते रवि कविराय, दृश्य यह नहीं सुहाते
आटे में सौ अश्रु ,कचौड़ी उसकी खाते
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451