Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2023 · 3 min read

— मृत्यु जबकि अटल है —

दुनिआ खत्म नहीं हो रहा है, खत्म की जा रही है, कभी किसी के द्वारा, कभी खुद से , कोई किसी को एक्सीडेंट से मार रहा है, कोई किसी को बलात्कार कर के मार रहा है, कोई किसी को कत्ल कर के मार रहा है, कोई जमीन के विवाद में एक दूसरे के खून का प्यासा हो रहा है, कोई अपनी हवस के कारण खुद पैदा कर रहा है, किसी की बीवी पर या किसी औरत का आदमी के चक्कर में कत्ल हो रहा है, कोई अवसाद में खुद को फांसी पर लटका रहा है, कोई आने वाले वक्त को लेकर इतना चिंतित है कि वो खुद ही बिमारी की वजह से मर रहा है , ले देकर यही सामने आ रहा है, कि कोई किसी को खुश देखकर खुश नहीं है, जलन की भावना मन ही मन में रखते हैं, बस जुबान पर राम का नाम रखते हैं , मिठास जो लोगों की जुबान पर देखने को मिलती है, यही वो चाकू है, यही वो जहर है, यही वो हथियार है, जिस से वो लोग ज्यादा शिकार हो रहे है, जो जल्द से दुसरे पर विश्वाश कर लेते है, उस के बाद उनका अंत कर दिआ जाता है, न जाने क्यूँ लोग एक दुसरे की तरक्की को देखकर इतनी ईर्ष्या करते है, जबकि वो तुम से कुछ मांग नहीं रहा है, तुम्हारा लेकर खा नहीं रहा है, अपना जो भी करता है मेहनत के बल बूते से करता है, पता नहीं क्यूँ , किस लिए फिर लोग ऐसी द्वेष की भावना को अपने मन में पैदा करके, उस का बुरा चाहते है, बुरे से याद आया की लोग अपने सुख की खातिर आपका बुरा करने से कभी नहीं चूकते , जादू, टोटके, हकीम , तांत्रिक के यहाँ जा जाकर न जाने कैसे कैसे हथकंडे तैयार करवा के आपके लिए मौत का जाल बनवा लेते है, सुखमय कोई जीवन न जिए ऐसी ऐसी भावना लेकर आपके मन के भेद ले लेंगे, फिर आपका बुरा करने में देर नहीं लगाते !

सुना था कि रामराज भी हमारे देश में सतयुग में था, पर कहाँ था ? उस में भी तो जलन की भावना, द्वेष, कुंठा, जैसे कर्मकांड हुआ करते थे, आज कलियुग में उस की गति काफी ज्यादा बढ़ गयी है, सच बात तो यही है, कि लोगों के मन के उप्पर अंकुश नहीं लग पाया है, मन हमेशां चंचल बना रहा है, बुरा ही बुरा सोचता आ रहा है, अच्छा कभी करता ही नहीं, कितने सत्संग सुन लो, कितने पूजा पाठ कर लो, कितने धर्मार्थ के काम कर लो, जब तक यह चंचलता बरकरार रहेगी, तब तक सच्चा रामराज कभी नहीं आ सकता ! कहने को तो बहुत से संत इस धरती पर आये, पर शायद उन कुछ संतों के बीच भी गलत भावनाओं ने घर किया, जो सच्चे गुरु थे, उनको दुनिआ के किसी भी तरह के आडंबरव से कुछ लेना देना नहीं था, वो केवल अपनी भक्ति में लीं रह कर संसार की यात्रा पूरी कर गए , आज ही देख लो कितने संत है, कोई राजनीति में लिप्त है, कोई भोग विलास में लिप्त है, कोई इतना बड़ा लग्जरियस बना हुआ है, कि उस को आध्यात्म दिखाई ही नहीं देता !

सब जानते है, कि इस संसार पर सदा किसी का अधिकार नहीं रहा कि वो इस का मालिक बन जाए, फिर भी पता नहीं क्यूँ अपना अधिपत्य जमाना चाहता है, यह इंसान !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 150 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all
You may also like:
लोकतंत्र का मंदिर
लोकतंत्र का मंदिर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
"तासीर"
Dr. Kishan tandon kranti
*मिलते जीवन में गुरु, सच्चे तो उद्धार【कुंडलिया】*
*मिलते जीवन में गुरु, सच्चे तो उद्धार【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
हमसे बात ना करो।
हमसे बात ना करो।
Taj Mohammad
अवधी गीत
अवधी गीत
प्रीतम श्रावस्तवी
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जो बातें अंदर दबी हुई रह जाती हैं
जो बातें अंदर दबी हुई रह जाती हैं
श्याम सिंह बिष्ट
महादेव ने समुद्र मंथन में निकले विष
महादेव ने समुद्र मंथन में निकले विष
Dr.Rashmi Mishra
सिर्फ टी डी एस काट के!
सिर्फ टी डी एस काट के!
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
चाहत
चाहत
Dr Archana Gupta
काव्य भावना
काव्य भावना
Shyam Sundar Subramanian
गुजार दिया जो वक्त
गुजार दिया जो वक्त
Sangeeta Beniwal
सत्य सनातन गीत है गीता
सत्य सनातन गीत है गीता
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मारे जाओगे
मारे जाओगे
Shekhar Chandra Mitra
फूल मुरझाए के बाद दोबारा नई खिलय,
फूल मुरझाए के बाद दोबारा नई खिलय,
Krishna Kumar ANANT
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आज़ादी के बाद भारत में हुए 5 सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना
आज़ादी के बाद भारत में हुए 5 सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना
Shakil Alam
💐प्रेम कौतुक-382💐
💐प्रेम कौतुक-382💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
उर्वशी कविता से...
उर्वशी कविता से...
Satish Srijan
किसी से भी
किसी से भी
Dr fauzia Naseem shad
इज़हार कर ले एक बार
इज़हार कर ले एक बार
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
पत्थर दिल समझा नहीं,
पत्थर दिल समझा नहीं,
sushil sarna
गम के आगे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
गम के आगे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
सत्य कुमार प्रेमी
आदित्य(सूरज)!
आदित्य(सूरज)!
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
" तुम्हारी जुदाई में "
Aarti sirsat
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
पुरुष की अभिलाषा स्त्री से
Anju ( Ojhal )
ख़ुद लड़िए, ख़ुद जीतिए,
ख़ुद लड़िए, ख़ुद जीतिए,
*Author प्रणय प्रभात*
मीठा शहद बनाने वाली मधुमक्खी भी डंक मार सकती है इसीलिए होशिय
मीठा शहद बनाने वाली मधुमक्खी भी डंक मार सकती है इसीलिए होशिय
Tarun Singh Pawar
Loading...