*मूॅंगफलियॉं धूप में खाए जमाना हो गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
मूॅंगफलियॉं धूप में खाए जमाना हो गया (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
मूॅंगफलियॉं धूप में खाए जमाना हो गया
जिंदगी का अर्थ बस बोझा उठाना हो गया
2
चार दिन परदेस से बेटा-बहू आकर रहे
जब गए तो घर वही फिर काट-खाना हो गया
3
एक उत्पीड़ित ने कर ली आत्महत्या और फिर
चार दिन चर्चा चली, किस्सा पुराना हो गया
4
हारती जीवन की बाजी इस तरह लगने लगी
जो सुबह खाया वही मुश्किल पचाना हो गया
5
आलसी सोता रहा तो भाग्य भी सो जाएगा
जागने पर पुण्य का समझो कमाना हो गया
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451