मूल्यांकन
मूल्यांकन
आप हैं इंसान
मैं भी हूँ इंसान
बाकी भी हैं इंसान
तो आप बाकियों से
बड़े कैसे हैं
यह है समझ से परे
मुझे आता नहीं समझ
कि मैं छोटा कैसे हूँ
आपका बड़प्पन
मेरा छोटापन
नहीं उतरता खरा
तर्क की कसौटी पर
समूचा मूल्यांकन
फिर से
किया जाए
-विनोद सिल्ला©