नए मुहावरे में बुरी औरत / MUSAFIR BAITHA
खुद को जभी आप
मुहावरे की चाशनी में लपेट
बुरी औरत कहती हैं
बाय डिफॉल्ट स्वयं को
इस खांचाबद्ध जाति और संप्रदाय आधारित समाज व्यवस्था में
मुट्ठीभर अच्छी औरतों में गिनते हुए
गर्व गझिन होते हुए पाई जाती हैं
बुरी औरत की आपकी गिनती में तब
एक खुदमुख्तार औरत
पितृसत्ता विरोधी औरत होती है
ऐसा कर अपनी छाती चौड़ा कर बैठने वाली औरत
आपकी बुरी औरत की परिभाषा
अच्छी ही हो, सही ही हो
तब जरूरी नहीं जब आप
वर्ण सोपान के खत्ते में
ऊंचे कुल में जन्मी होती हैं
क्योंकि ऐसे परिवार परिवेश की
किसी बुरी औरत को मैंने
अपने परिवार, अपनी जाति में व्याप्त
जनेऊलीला का विरोध करते नहीं देखा है
एक दलित वर्ग की औरत
और एक दलक खित्ते की औरत
साफ़ अलग होती है
एक जैसी दिखती कुछ विपरीत स्थितियों से गुजरते हुए भी
दोनों की गति एक नहीं होती
एक दलक संप्रदाय की बुरी औरत
दलित औरतों के दोनों हिस्सों
बुरी दलित औरत और गैर बुरी दलित औरत के लिए
अभिधार्थ में बुरी औरत ही अमूमन साबित होनी चाहिए!