मुहब्बत हो हमारी तुम , भुला अब तो न पाएंगे
मुहब्बत हो हमारी तुम , भुला अब तो न पाएंगे
रहेंगे पास ही दिल के भले ही दूर जाएंगे
खज़ाना यादों का लेकर अमीरी में जियेंगे हम
जो होगा दर्द इस दिल को उसे हँसकर पियेंगे हम
मिलेंगे स्वप्न में हर रोज मिलकर मुस्कुरायेंगे
मुलाकातें हमें अपनी पुरानी याद आयेंगी
हँसाएगी कभी हमको कभी कितना रुलायेंगी
लिखे तुम पर कभी थे गीत वो हम गुनगुनायेंगे
तुम्हारी ही मुहब्बत ने हमें उड़ना सिखाया था
ग़मों से भी हमें हँसते हुये लड़ना सिखाया था
मुहब्बत के सहारे ज़िंदगी आगे बढाएंगे
विरह जब है यहाँ पर तो मिलन की रीत भी होगी
किसी दिन तो मुकम्मल ये हमारी प्रीत भी होगी
सितारे भी हमारे मिल हमें तुमसे मिलायेंगे
11-02-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद