मुहब्बत की खुशबू
मुहब्बत की खुशबू का क्या कीजियेगा
इसे दिल में अपने बसा लीजियेगा
रक़ीबों की महफ़िल में जाने लगे हो
मिरे हाथ से जाम क्या पीजियेगा
कभी आपको हम इशारा करें तो
ये पर्दा हया का गिरा दीजियेगा
है दुश्मन ज़माना तो सदियों से अपना
नए दौर में आप क्या कीजियेगा
जताते नहीं हम कभी बेक़रारी
महावीर उनको बता दीजियेगा