मुस्कुराहट
ठंड में कंबल ओढ़े
सड़क पर बैठे हैं
न छत न दीवार
ना ही तन को
ढकने लायक कपड़ा,
भूख से हरदम लड़ते
आँखो से आँसू नहीं
खून टपकते रहते,
फिर भी चैन-ओ-सूकूँ
है उनके पास,
और है उनका अपना
अकपट मुस्कुराहट
जो बंगलों और महलों में
रहनेवालों के पास नहीं ।