*मुस्कानों में सच्चाई है
मुस्कानों में प्रेम सुधा है।
हरी भरी रहती वसुधा है।।
तृप्त सुशांत सदैव क्षुधा है।
परम रम्य गोविंद बुधा है।।
मुस्कानों में शक्ति मोहिनी।
सारी दुनिया भाव योगिनी।।
मुस्कानों से जो आच्छादित।
उसका सारा वदन सुशोभित।।
मुस्काता ज़न सहज बुलाता।
उर्मिल हाला नित्य पिलाता।।
अति व्यापक है उसकी जगती।
प्रीति रश्मिमय सारी धरती।।
हैं पसंद जिसको मुस्कानें।
उसके उर में मधुर तराने।।
मधुर राज है मुस्कानों में।
राग रागिनी दीवानों में।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।