मुस्कानों की परिभाषाएँ
१*
जाने कब और कहाँ खो गए ,
अपनापन सम्बन्ध पुराने ।।
जीवन पथ ही हुआ अजनबी ,
पीछे छूट गया है मेला ।
कुटिल आँधियाँ हँसतीं कहतीं ,
चलना होगा तुम्हें अकेला ।
विपदाओं में साथ नहीं है ,
कोई अपना साथ निभाने ।।
स्मृतियों में धरी रह गईं ,
मुस्कानों की परिभाषाएँ ।
नयनों में काले बादल हैं ,
मन के अम्बर में उल्काएँ ।
बरसों बीते नहीं सुने हैं ,
इन कानों ने प्रेम तराने ।।
रातें उठ कुचक्र रचती हैं ,
धुत्त नशे में दिन हैं सोए ।
चौपालों पर चमगादड़ हैं ,
चौराहे अभाव में रोए ।
खोज रहा मन का कपोत यह ,
परम मित्र जाने पहचाने ।।
**