मुस्काती आती कभी, हौले से बरसात (कुंडलिया)
मुस्काती आती कभी, हौले से बरसात (कुंडलिया)
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मुस्काती आती कभी , हौले से बरसात
धीरे – धीरे भीगता ,रुनझुन – रुनझुन गात
रुनझुन – रुनझुन गात ,वेग से कभी डराती
जैसे गिरी कटार , व्योम से ऐसे आती
कहते रवि कविराय ,सभी को सदा सुहाती
अद्भुत है आश्चर्य , रूप-वर्षा मुस्काती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451