*मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो(हिंदी गजल/ गीतिका)*
मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो(हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो
मौहब्बत से भरी दुनिया जहाँ तक हो
2
दिलों में प्यार का तो बज उठा जादू
भरा फूलों से अब हर पेड़ लकदक हो
3
ये ऋतुरानी वसंती आज आई है
झुका बाकी सभी ऋतुओं का मस्तक हो
4
अगर आया है मौसम प्यार का तो फिर
दिलों में प्यार की सबके ही दस्तक हो
5
महीने-दिन को वासंती नहीं कहते
जरूरी है कि दिल में कोई धकधक हो
6
मौहब्बत जब बना ही दी है ईश्वर ने
मौहब्बत का तो फिर हर एक को हक हो
7
प्यार का कोई सुनिश्चित पथ नहीं होता
यह किसे मालूम किससे कब अचानक हो
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451