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21 Feb 2023 · 1 min read

मुनादी कर रहे हैं (हिंदी गजल/ गीतिका)

मुनादी कर रहे हैं (हिंदी गजल/ गीतिका)
■■■■■■■■■■■■■■■
देखिए पत्ते अभी भी झर रहे हैं
पेड़ पतझड़ की मुनादी कर रहे हैं (1)

दिन न वासंती इन्हें मालिक कहें
लोग तो बस कॉंप ही थर-थर रहे हैं (2)

कुछ नहीं बदला बड़े कुछ लोग अब भी
लूटकर इस देश को घर भर रहे हैं (3)

हड़बड़ी तो देखिए कैसी मची है
दोष सारे दूसरों पर धर रहे हैं (4)

संग वी आइ पी के फोटो था कभी
आजकल इस बात से बस डर रहे हैं (5)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर.उ.प्र..9997615451

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