मुखौटे
मैंने कहा मुखौटा हटाओ,
इस तरह कोई हटाता है,
क्या ?
मैंने हाथ आगे बढाया.
खुद पे खुद बेनकाब था
लोगों ने कहा चौकीदार चोर है.
बडा बुरा लगा.
जो भला देखभाल करे,,,वो.
बड़ी मुश्किल से संभाल लिया मोर्चा.
मैंने कहा !
कम से कम उसकी नजर में जरूर था.
कुछ भी कहो.
वर्तमान को देखकर,
सही था,
एक कबूतर के सामने,
सवा करोड़ जनता की देह का मांस कम था.
वह एक कबूतर तथाकथित धर्म था.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस