मुक्त पुरूष #…वो चला गया…..
वो चला गया
सरहद पर अपने
कर्तव्य को अंजाम दे
मातृभूमि के रक्षा यज्ञ में
प्राण पूर्णाहुति दे
व्रती वो चला गया……..
समान अवसर देने
एक और जवान को
जगह खाली कर गया
नया अध्याय लिखने
पीछे पन्ना खाली छोड़
सिद्ध वो चला गया……
उम्र को विराम चिन्ह लगा
परिवार का मोह त्याग
कर्म का धर्म निभा गया
योगी वो चला गया……
आबाद रहे गुलफ़ाम
शाद रहे गुलिस्ताँ
वतन की स्मिता बचाने
युद्ध के हवन कुंड में
कूद हर बार गया
सर्वस्व दे बलिदान
वारिस सहस्त्रों बचा
महामानव वो चला गया……..
जीवन के उस पार
मृत्यु की गोद में सिर रख
अमर कहानी रच
हाँ वो मुक्त पुरूष चला गया……
संतोष सोनी
जोधपुर (राज.)