मुक्तक
दिल में हमने चोट हज़ारों
खाए हुए है मगर फिर भी
जी रहे है एक बुथ की तरह,
शिकवा किसीसे क्या करें
भरोसा हमने खो दिया सबका बस
अंतिम यात्रा पार करना है किसीभी तरह ।
दिल में हमने चोट हज़ारों
खाए हुए है मगर फिर भी
जी रहे है एक बुथ की तरह,
शिकवा किसीसे क्या करें
भरोसा हमने खो दिया सबका बस
अंतिम यात्रा पार करना है किसीभी तरह ।