मुक्तक
धरती माँ
हिजाब में अब आँखें जलने लगी है
बदलेगी सूरत,हवाएं चलने लगी है…
कैसी छांव,जैसा बोया वैसा ही काट
धरती माँ की सीरत बदलने लगी है।
पंकज शर्मा
धरती माँ
हिजाब में अब आँखें जलने लगी है
बदलेगी सूरत,हवाएं चलने लगी है…
कैसी छांव,जैसा बोया वैसा ही काट
धरती माँ की सीरत बदलने लगी है।
पंकज शर्मा