Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Apr 2022 · 1 min read

मुक्तक

आज आसमान का रंग नीला क्यों है?
तेरे हाथ का रूमाल गीला क्यों है?
नभ तो ख़ुश है पूर्ण चंद्रमा के आने से
मेरे चाँद का मिज़ाज आज हठीला क्यों है?

Language: Hindi
4 Likes · 294 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रूह को खुशबुओं सा महकाने वाले
रूह को खुशबुओं सा महकाने वाले
कवि दीपक बवेजा
भूमि भव्य यह भारत है!
भूमि भव्य यह भारत है!
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
खोया है हरेक इंसान
खोया है हरेक इंसान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
तुम तो हो गई मुझसे दूर
तुम तो हो गई मुझसे दूर
Shakil Alam
हेेे जो मेरे पास
हेेे जो मेरे पास
Swami Ganganiya
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
शेखर सिंह
अज्ञानता निर्धनता का मूल
अज्ञानता निर्धनता का मूल
लक्ष्मी सिंह
पीने वाले पर चढ़ा, जादू मदिरापान (कुंडलिया)*
पीने वाले पर चढ़ा, जादू मदिरापान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
धरा प्रकृति माता का रूप
धरा प्रकृति माता का रूप
Buddha Prakash
आज फिर दर्द के किस्से
आज फिर दर्द के किस्से
Shailendra Aseem
नववर्ष नवशुभकामनाएं
नववर्ष नवशुभकामनाएं
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
जो न कभी करते हैं क्रंदन, भले भोगते भोग
जो न कभी करते हैं क्रंदन, भले भोगते भोग
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कर ही बैठे हैं हम खता देखो
कर ही बैठे हैं हम खता देखो
Dr Archana Gupta
दिल साफ होना चाहिए,
दिल साफ होना चाहिए,
Jay Dewangan
बच्चे कहाँ सोयेंगे...???
बच्चे कहाँ सोयेंगे...???
Kanchan Khanna
जीवन एक मकान किराए को,
जीवन एक मकान किराए को,
Bodhisatva kastooriya
संसार में
संसार में
Brijpal Singh
💐अज्ञात के प्रति-117💐
💐अज्ञात के प्रति-117💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आशिकी
आशिकी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सब पर सब भारी ✍️
सब पर सब भारी ✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बेतरतीब
बेतरतीब
Dr. Kishan tandon kranti
"ओस की बूंद"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
Sukoon
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
Ranjeet kumar patre
पग मेरे नित चलते जाते।
पग मेरे नित चलते जाते।
Anil Mishra Prahari
सही कहो तो तुम्हे झूटा लगता है
सही कहो तो तुम्हे झूटा लगता है
Rituraj shivem verma
वक्त से गुज़ारिश
वक्त से गुज़ारिश
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सुकून
सुकून
अखिलेश 'अखिल'
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
Poonam Matia
पुष्प की व्यथा
पुष्प की व्यथा
Shyam Sundar Subramanian
Loading...