मुक्तक
न मन्दिर से न मस्जिद से, न गीता से बसर होई।
रही जब पेट में दाना, तबे कुछऊ असर होई।
गुजारिश बा करऽ चाहें, सराफत भा सियासत तूँ-
उदर खाली भइल हमरो, बुरा तहरो हसर होई।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464