मुक्तक
एक नया मुक्तक आप सभी के साथ साझा करता हूँ आप सभी का सादर स्नेह प्राप्त हो ऐसी हृदयाकांक्षा है :
कुटिल चाल के पांशे फेके जिससे शकुनी जीता है
ईर्ष्या में ही दुर्योधन का सारा जीवन बीता है।
कुरुक्षेत्र का धर्मयुद्ध है अर्जुन लो गांडीव उठा,
रूप विराट विष्णु का देखो कृष्ण सुनाएं गीता है।।
#अरुण_शर्मा_बेधड़क
राष्ट्रवादी कवि
सीतापुर (उ०प्र०)
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