मुक्तक
नस्लभेद
चले पराये देश को, करने दो दो हाथ….
नाम किया परदेस में,मेहनत कर दिन रात..
नस्लभेद के दंश से,पीड़ित है सब लाल
आँखें सजल हो गई,घायल हैं जज्बात
पंकज शर्मा
नस्लभेद
चले पराये देश को, करने दो दो हाथ….
नाम किया परदेस में,मेहनत कर दिन रात..
नस्लभेद के दंश से,पीड़ित है सब लाल
आँखें सजल हो गई,घायल हैं जज्बात
पंकज शर्मा