मुक्तक
मजबूरी
मद के अंधे,काले धंधे,कैसे इनका चुनाव करें…
तन से शुभ्र,मन के काले, कैसे हवाले गांव करें
लोकतंत्र की मजबूरी है,नेता हमको चुनना होगा
नासूर है यह व्यवस्था, कैसे सबका बचाव करें
पंकज शर्मा
पिड़ावा झालावाड
राजस्थान
मजबूरी
मद के अंधे,काले धंधे,कैसे इनका चुनाव करें…
तन से शुभ्र,मन के काले, कैसे हवाले गांव करें
लोकतंत्र की मजबूरी है,नेता हमको चुनना होगा
नासूर है यह व्यवस्था, कैसे सबका बचाव करें
पंकज शर्मा
पिड़ावा झालावाड
राजस्थान