मुक्तक
हक
***
क्या लेकर आया था जो मैं हक की बात करूं…
क्यों जमीं के बंटन में,मैं काले दिन रात करूं…
हर दिशा मंदिर का द्वार, हर राह सजदे वाली
क्यों बेकार की बातों से, खुद का जीवन घात करूं
पंकज शर्मा
पिड़ावा-झालावाड
राजस्थान
हक
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क्या लेकर आया था जो मैं हक की बात करूं…
क्यों जमीं के बंटन में,मैं काले दिन रात करूं…
हर दिशा मंदिर का द्वार, हर राह सजदे वाली
क्यों बेकार की बातों से, खुद का जीवन घात करूं
पंकज शर्मा
पिड़ावा-झालावाड
राजस्थान