मुक्तक
1.
हवा को कोन देखे, दिल रक्स करता रहता है
दिलबर की याद में कुछ अक्स खींचा करता है
2.
अजी हमने तो महफ़िल से उठते उठते भी
झुकी पलकों से भी आशुं गिरना देख लिया
3.
क्यूं चाहता है दिल तुम्हें क्यूं रस्ता तुम्हारा तकता है
क्यूं हर मोड पर दिलबर मूड मूड कर तुमको देखा करता है
~ सिद्धार्थ