मुक्तक
1.
अभी अभी तो था यहीं पे अभी अभी गुजर गया
ये जो उम्र था न यारा लम्हा लम्हा बिखर गया
जीस्त की आजमाईश में थोड़ा थोड़ा निखर गया
~ सिद्धार्थ
2.
कुछ चुभ जाता है रोज
और दर्द मुझको ढूंढता फिरता है
मैं हंसती रहती हूं, वो पीछा करता रहता है
~ पुर्दिल