मुक्तक
अबकी सखॆ तुम ऎसा करना
मुझको अंको में भरना
फिर मुझको तुम चंदन करना
उस चन्दन से तिलक लगा कर
फिर तुम शमर में उतरना
महकुंगी मैं तेरे अंग संग में
चहकुंगी तेरे रग रग में
~ सिद्धार्थ
2.
आली मुझको तुम बाहों मै उठा लो
प्रेयशि तुम खुद मे मुझको छुपा लो
आओ हम दोनों एक दूजे में खों जाएं
दुंढे खुद को एक दूजे में और जो न मिलें तो
तुम मुझ मै मैं हो जाना मैं तुम में तुम हो जाऊंगी
~ सिद्धार्थ