मुक्तक
1.
हमीं हैं हिंदू हमीं वो मुसलमां
हमीं से गुजरा है हर एक इंसा
हमीं को चाहो तो तुम मार डालो
हमीं मिलेंगे तुम्हें हर एक जगहा
~ सिद्धार्थ
2.
यहां नहीं तो… वहां सजा पाओगे
कब तलक लाशों पे तुम इठलाओगे…?
चमत्कार होते नहीं ये भी ठीक है … मगर
कर्म फल से कब तक खुदी को बचाओगे.?
~ सिद्धार्थ