मुक्तक
1.
सुबह के हाथों से रात का ख्वाब छूट जाता है
दिन का उजाला जीवन के असबाब जुटाने में लुट जाता है
~ सिद्धार्थ
2.
तुम रात न्योत के लाओगे मैं सुबह के पैर पखारूंगी
तुम नफ़रत के गीत गाओगे मैं प्यार की बात दोहराऊंगी
~ सिद्धार्थ
3.
हम मिलेंगे जरूर किसी दिन वक़्त के पीठ पे
मैं किस्से कहूंगी तुम सुनना उसे ठीक – ठीक से
~ सिद्धार्थ