मुक्तक
1.
कौन मुंह को कराए यहां मयस्सर दाना
जितने भी खैरख्वाह थे धर्म के ठेकेदार निकले
~ सिद्धार्थ
2.
हमख्याल गर हम तुम हैं तो बबाल क्या है…?
एक राह के हम पथिक हैं तो मलाल क्या है…?
~ सिद्धार्थ
3.
कांटे न हो तो एहसास के एहसास से जी उब जाएगा
कहो तो … गुलाब भला कब तलक दिल लुभाएगा
~ पुर्दिल