मुक्तक
1.
मुड़ के देखेंगे तो हमें साथ ही पाएंगे,
हम दूर तलक आपका साथ निभाएंगे…
नए साल में हम मिल के मुस्कुराएंगे… बधाई✨
~ सिद्धार्थ
2.
रेशम हूं उलझी हूं तुम में सुलझते सुलझते ही सुलझुंगी
तुम में उलझी हूं अभी तनहाईयों भरी साम में सुलझूंगी
~ सिद्धार्थ
3
तुम्हें सब कुछ मालूम है तो कहो…
एक लम्हें में ही साल पुराना कैसे हो जाता है?
लम्हें के नुक्कड़ पे खड़ा लम्हा नया साल कैसे बन जाता है?
~ सिद्धार्थ