मुक्तक
१.
कुछ कुछ अपने कुछ पराये लगते हो
तुम मुझे जिंदगी के सताये लगते हो !
…सिद्धार्थ
२.
ये सूरज जल रहा है, या हम तुम जल रहे हैं
या सांसों के रेशमी डोर पे धड़कन मचल रहे हैं
…सिद्धार्थ
३.
तुझ में कुछ तो अलग है
इस लिए तू मेरी तलब है
…सिद्धार्थ