Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2019 · 1 min read

मुक्तक- उनकी बदौलत ही…

मुक्तक- उनकी बदौलत ही…
■■■■■■■■■■■■■■■■■
कहीं मैं दूर जाऊँ तो मुझे वो घर बुलातीं हैं,
रहूँ घर पे जो मैं दिन-रात बस पत्थर बुलातीं हैं,
मगर उनकी बदौलत ही कलम चलती है यह मेरी,
मैं लिखना भूल जाऊँ तो मुझे कविवर बुलातीं हैं।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 10/07/2019

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 603 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उठाना होगा यमुना के उद्धार का बीड़ा
उठाना होगा यमुना के उद्धार का बीड़ा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दीवाने प्यार के हम तुम _ छोड़े है दुनियां के भी  गम।
दीवाने प्यार के हम तुम _ छोड़े है दुनियां के भी गम।
Rajesh vyas
मुक्तक
मुक्तक
दुष्यन्त 'बाबा'
आपकी आहुति और देशहित
आपकी आहुति और देशहित
Mahender Singh
जरुरत क्या है देखकर मुस्कुराने की।
जरुरत क्या है देखकर मुस्कुराने की।
Ashwini sharma
■ कब तक, क्या-क्या बदलोगे...?
■ कब तक, क्या-क्या बदलोगे...?
*Author प्रणय प्रभात*
मेरे जैसा
मेरे जैसा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"सबक"
Dr. Kishan tandon kranti
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
Kanchan Alok Malu
पृष्ठों पर बांँध से
पृष्ठों पर बांँध से
Neelam Sharma
हिंदू कट्टरवादिता भारतीय सभ्यता पर इस्लाम का प्रभाव है
हिंदू कट्टरवादिता भारतीय सभ्यता पर इस्लाम का प्रभाव है
Utkarsh Dubey “Kokil”
ग़ज़ल
ग़ज़ल
abhishek rajak
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
All your thoughts and
All your thoughts and
Dhriti Mishra
💐प्रेम कौतुक-268💐
💐प्रेम कौतुक-268💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
श्रीराम
श्रीराम
सुरेखा कादियान 'सृजना'
"मेरी जिम्मेदारी "
Pushpraj Anant
ज्ञात हो
ज्ञात हो
Dr fauzia Naseem shad
ये वक्त कुछ ठहर सा गया
ये वक्त कुछ ठहर सा गया
Ray's Gupta
ओ! चॅंद्रयान
ओ! चॅंद्रयान
kavita verma
Noone cares about your feelings...
Noone cares about your feelings...
Suryash Gupta
*जरा सोचो तो जादू की तरह होती हैं बरसातें (मुक्तक) *
*जरा सोचो तो जादू की तरह होती हैं बरसातें (मुक्तक) *
Ravi Prakash
2462.पूर्णिका
2462.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
माई कहाँ बा
माई कहाँ बा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सत्य खोज लिया है जब
सत्य खोज लिया है जब
Buddha Prakash
कदमों में बिखर जाए।
कदमों में बिखर जाए।
लक्ष्मी सिंह
11, मेरा वजूद
11, मेरा वजूद
Dr Shweta sood
उस जैसा मोती पूरे समन्दर में नही है
उस जैसा मोती पूरे समन्दर में नही है
शेखर सिंह
"सुनो एक सैर पर चलते है"
Lohit Tamta
सचमुच सपेरा है
सचमुच सपेरा है
Dr. Sunita Singh
Loading...