मुँह से बरबस निकला वाह!
मुँह से बरबस निकला वाह!
पत्थर कैसे पिघला वाह!
देखा तुझको जान गए जी
पूनम का शशि मचला वाह
छीन लिए हैं तुमने होश
तुमपे मैं भी फिसला वाह
फूल दिया रखने को मैंने
पुस्तक में ही कुचला वाह
रौशन तेरी बज़्म हुई है
परवाना खूब जला वाह