मिलें यार पुराने
***** मिलें यार पुराने ****
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आज मिलें हैं यार पुराने,
याद बहुत आये अफ़साने।
बाद कई सालों में मिलें हैं,
दर्शनों के मिलें हैं नजराने।
मौज मस्ती भरे दिन निराले,
खुशियीं के ढूंढते थे बहाने।
वर्षों बाद मिली हसीं सूरतें,
बातों के खुल गए कारखाने।
मनसीरत फूला नहीं समाये,
देखकर खिले हुए मयखाने।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथ