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8 Aug 2022 · 2 min read

*मित्र मंडली (कोरोना लघुकथा)*

मित्र मंडली (कोरोना लघुकथा)
■■■■■■■■■■
हरिराम जी कुछ ही समय पहले रिटायर हुए थे । संयोगवश उसके तुरंत बाद कोरोना फैलने लगा। परिणामतः हरिराम जी बहुत सतर्कता पूर्वक जीवन व्यतीत करते थे । सभी को समझाते रहते थे कि मास्क पहनकर घूमो , 2 गज की दूरी रखो और हाथों को साबुन से लगातार धोते रहो । टहलने की उनकी हमेशा से आदत थी। तो कोरोना काल में भी वह चलती रही । सुबह-सुबह घर से उठकर टहलते हुए पार्क में जाते थे और टहलकर वापस आ जाते थे ।
आज भी उसी दिनचर्या के अनुसार वह पार्क में पहुँचे । चार मित्र जो रोजाना मिलते थे, आज भी वहाँ बैठे हुए थे । हरिराम जी उन्हीं के पास जाकर बैठ गए । थोड़ी देर तो उन्होंने मास्क लगाया लेकिन फिर जब देखा कि बाकी चारों मित्र भी मास्क हटाए हुए हैं तब उन्होंने भी हमेशा की तरह मास्क को नीचा कर लिया । ऐसा रोज ही होता था।
फिर सब पाँचों लोग समाज में फैलते हुए कोरोना के बारे में चिंताएँ व्यक्त करने लगे । सबसे पहले शीतला प्रसाद ने जिक्र छेड़ा “आपको पता है ,हमारे मोहल्ले में तीन कोरोना के मरीज निकले हैं।”
” यह तो बहुत बड़ी संख्या है ।”-किसी एक ने टिप्पणी की।
” अरे साहब हमारे बाजार में पूरे 6 लोग कोरोना के मरीज हैं और उनके घर की अगर चेकिंग हो जाए तो कम से कम 15-20 लोग और निकलेंगे “-यह मित्र मंडली में एक सज्जन की आवाज थी । धीरे धीरे कोरोना पर सब की चिंताएँ व्यक्त होती जा रही थीं।
.. तभी किसी ने पूछ लिया “क्या बात है ,आज रमेश बाबू नहीं दिख रहे ? आए नहीं ? ”
यह सुनकर उत्तर दिनेश कुमार जी ने दिया जो रमेश बाबू के मोहल्ले में ही रहते थे।” उनको तो कल कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट आई है। तीन-चार दिन पहले टेस्ट होकर सैंपल गया था।”
बस इतना सुनना था कि हरिराम जी को साँप सूँघ गया । भर्राए हुए स्वर में बोले “कल ही तो उन्होंने मेरे कान में फुसफुसाते हुए काफी देर तक बातचीत की थी और मुझे याद है कि उनके मुँह से निकले हुए थूक के कण मेरे कान के आसपास गिर रहे थे ।”-इतना कहकर हरिराम जी भयभीत हो उठे। फौरन उन्होंने मास्क को अपनी नाक तक चढ़ाया और पार्क से तेजी के साथ अपने घर की ओर चल पड़े । पूरे रास्ते उन्होंने किसी की तरफ नजर उठाकर नहीं देखा ।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा,
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
156 Views
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