मिट्टी में मिट्टी
मिट्टी में मिट्टी
कल तक नहीं लगने दी
कपड़ों पर धूल
रहा संवारता कंचन-काया
रोज-रोज
रहा निहारता आइने में
आज सोया पड़ा है
चिरनिंद्रा में
लोग लिटा रहे हैं
चिता पर या कब्र में
रखी जा रही हैं ऊपर
लकड़ियां और उपले
या दी जा रही है मिट्टी
नहीं बचा पा रहा
अपने-आप को
मिट्टी से
गोबर के उपलों से
अब था तैयार
मिट्टी में मिट्टी होने को
-विनोद सिल्ला©