*मिट्टी की कहलाती हटरी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
मिट्टी की कहलाती हटरी (हिंदी गजल/ गीतिका)
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(1)
मिट्टी की कहलाती हटरी
सौ रुपये की आती हटरी
(2)
ठेस जरा-सी अगर लगी तो
दो टुकड़े हो जाती हटरी
(3)
नाजुक होती सदा गृहस्थी
असली राज बताती हटरी
(4)
नखरे सौ हर समय उठाओ
तब जाकर चल पाती हटरी
(5)
नई-नई हर साल दिवाली
नया गीत है गाती हटरी
(6)
मिट्टी का तन खेल-खिलौना
मिट्टी की बतलाती हटरी
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451