माॅं के पावन कदम
माॅं के पावन कदम
माॅं के पवन कदमों से झूमा ये संसार
माॅं दुर्गा आई है हो सिंह पर सवार
तुम भी उनका कर लो ध्यान
मां की जयकारों से कोई उठा पंडाल ।
माॅं तुम रूप धरो मानव का
दूर करो धरती से पाप
दिन प्रतिदिन धर्म बढ़ रहा
दुष्टों का करो संहार।
तुम तो माॅं हो पूर्ण संसार की
तुम तो कष्ट देने से पहले
कष्टहर्ता बन जाती हो
फिर क्यों बढ़ रहा इतना अत्याचार।
कैसा फैल रहा यह जाल
माॅं मेरी विनती सुन लो
इसका कुछ तो करो उपाय
ये युग कलयुग ही न बनकर रह जाए।
जगमग जगमग द्वारा सजे हैं
अखंड ज्योति के दीप जले हैं
सुख, समृद्धि, बुद्धि ज्ञान के
माॅं सबके भर दो भंडार।
हरमिंदर कौर,
अमरोहा ( यूपी)