माही मुक्तावली
वर्ल्ड कप होता जहां में ,अगर बदजुबानी पर !
नेता तो लेकर आते दोनों हाथों कप !
भारत के भय से प्रतिभागी नहीं आते ;
सारे खिलाड़ी जन्मे भारत में ही रब !
२
सच पर आज है सरकार का पहरा ?
घाव नोटबंदी उथला या गहरा !
छिपाए बैठा दिल में बोझ भारी ;
बोल रहा गूंगा भी ,सुन रहा है बहरा !
३
खेल होते ढेर सारे एक और हो जाता !
हर नेता देश का गोल्ड अवश्य लेकर आता !
भ्रष्टाचार में न कोइ कर सके मुकाबला ;
माथे ताज में और एक सितारा जड़ जाता !
४
जमाने को बुरा बोलो ,अरे तुम कोसने वालों !
जरा अपने को भी तो लो अरे तुम भोगने वालो !
कितना निभाया फर्ज मैने, जीकर यहाँ जमाने में ;
तनिक तो सोचकर देखो, दुखी जीव सोचने वालो !
५
जानकर बाज के उपर परिन्दे वार करते हैं !
ओढ़ाकर स्नेह की चादर,घृणा बौछार करते हैं !
वक्त इतना बुरा क्यों हमारे सामने आया ;
अकडकर श्वानों को देखो सिंह पर वार करते हैं !