माला जपना
मन कहता, जिसको अपना
जग समझे, उसको सपना
प्रीत में सब कुछ भूल गए
याद रहा, माला जपना
आप निखर जाओगे खुद
कुन्दन से सीखो तपना
सुख आती-जाती छाया
दुःख ही केवल है अपना
हम हैं फ़क़ीर तिरे दर के
इश्क़ खुदा से है अपना
***
मन कहता, जिसको अपना
जग समझे, उसको सपना
प्रीत में सब कुछ भूल गए
याद रहा, माला जपना
आप निखर जाओगे खुद
कुन्दन से सीखो तपना
सुख आती-जाती छाया
दुःख ही केवल है अपना
हम हैं फ़क़ीर तिरे दर के
इश्क़ खुदा से है अपना
***