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2 Jun 2022 · 1 min read

✍️माय…!✍️

✍️माय…!✍️
———————————//
माय मेल्यावर
बाप कर्तव्याला जागेलच
असे नाही…!
पोरासोरांची गरज
त्याला कळेलचं
असे नाही…!
हे मला आता आता कळू लागले!
लहानग्यापेक्षा मोठ्यांची
गरज मोठी असते…!
त्या गरजेपोटी इवल्यांची
झोळी सदा रिती असते..!

त्या बालवयात मला पण गरज होती
फक्त ती कळत नव्हती…!
गरज डोक्यावर मायेच्या एका हाताची
गरज पोट जगवण्यासाठी दोन सांझेची
गरज उमलत्या कोमल वयाला फुलवायची
गरज संस्काराच्या झोपाळयात झुलवायची
गरज उत्तुंग स्वप्नांच्या भरारीने भविष्य घडवायची
पुन्हा..! पुन्हा…! बरंच काही.. गरज असते
गरज कधीच सरत नसते…
मायेची गरज तर नाहीच नाही….
आपल्या अंतरंगाला चाचपुन बघ..!
ते ग्वाही देणार मायेच्या गरजेची
आणि ममतेची सुद्धा…

लहानपणी ऐकलेली ती म्हण
आता मला बदलाविशी वाटते
गरज सरो नंतरच माय मरो……!
————————————//
✍️”अशांत”शेखर✍️
10/05/2022

Language: Marathi
Tag: Muktak
371 Views
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