मायूस नौजवान से
चल उठ बदल दे दुनिया को
तू बैठे-बैठे सोचता क्या है?
सुकरात की तरह लड़ ज़ुल्मत से
मजनूं की तरह रोता क्या है?
बहादुरी से कर सच का सामना
मुश्किलों से भागता क्या है?
अपने पर सीख भरोसा करना
खुदू को हर वक़्त कोसता क्या है?
दिल में जो बात है बेधड़क कह दे
ऐसे मुझे देर से देखता क्या है?
कभी दिल भी भेज लिफाफे में
किताबों में फूल भेजता क्या है?
अपने दिल और दिमाग की सुन
हर बात दूसरों से पूछता क्या है?
Shekhar Chandra Mitra