*मामूली आदमी (कुंडलिया)*
मामूली आदमी (कुंडलिया)
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मामूली खाते रहें, मामूली घर – द्वार
मामूली चलता रहे , अपना कारोबार
अपना कारोबार , स्वास्थ्य मामूली पाएँ
मामूली सम्मान , खुशी या गम सब आएँ
कहते रवि कविराय ,चढ़ाना कभी न सूली
कभी न चाहें स्वर्ग , प्रभो रखना मामूली
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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सूली पर चढ़ाना = फाँसी पर चढ़ाना ,अपार कष्ट देना